बिन मौसम की बारिश
याद दिला गई कुछ लम्हे…
मिटटी की भीनी खुशबू
चाय और गरम पकोड़ै
कुछ पुराने गाने
ताश और नमकीन बातें
बिछड़े हुए कुछ दोस्त
Gossip वाली रातें …
टप टप करती बूंदे
बदल गई ओलों में …
जैसे बेपरवाह ज़िन्दगी
बदलती है लम्हों में…
अब मौसम है, बारिश है, चाय और गरम पकौड़े हैं
पर ज़िन्दगी की होड़ में
दोस्त कहीं खो गए शायद…
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